कहते हैं की ईश्वर हर जगह एक साथ मौजूद नहीं हो सकता इसलिय उसे मां को बनाया |एक अक्षर का शब्द है "मां" लेकिन आज तक इसके विस्तार रूप को कोई नहीं बाँध पाया । दुनिया की किसी भी कलम में इतनी ताकत नहीं है की वह माँ को परिभाषित कर दे लेकिन 12 मई को मदर्स डे है तो आईये ये महीना मां को समर्पित करते हैं और अपनी मां को आपके जीवन में उनके महत्व को बताते है।
“ दवा असर ना करे तो नजर उतारती हैं, वो माँ है जनाब हार कहाँ मानती हैं !! ”
मैं जन्म से शुरू कर रही हूं......... जब मैंने जन्म लिया और आँखें खोलीं तो मैंने अपनी माँ को देखा .........
वो मां जो निःस्वार्थ भाव से पूरी जिंदगी हम प्यार देती है और हमारी हर छोटी बड़ी खुशी में खुश होती है.अगर मैं गलत नहीं हूं तो शायद पूरी दुनिया में एक यही रिश्ता है जिसमें कोई छल नहीं होता ।
किसी भी बच्चे की पहली पाठशाला माँ ही होती है जो बच्चों को अच्छे संस्कार सिखती है जिस्की उंगली पकड हम चलना सिखते हैं|
"माँ ही ईश्वर हैं माँ ही गुरु हैं, माँ ही शक्ति हैं, माँ ही ही संस्कार हैं सागर की गहराई से ज्यदा गहरा माँ का प्यार है"|
कहते हैं हर कामयाब इंसान के पीछे एक ऐसा गुमनाम सख्श खड़ा है जिसकी अपनी कोई पहचान नहीं है मगर उसने आपको कामयाबी दिलाने के लिए अपना सब कुछ गवा दिया है , वो कोई और नहीं हमारी मां ही हैं | अपने जीवन का आनंद, अपना आराम, सबकुछ आप पर न्योछावर कर दिया है । जिसकी कीमत दूसरा कोई नहीं सिर्फ आप समझ सकते हैं|
आप सबको एक छोटी सी कहानी सुनाती हूं-
घर-घर बर्तन मांजकर गुजारा करने वाली एक मां को एक दिन एक पत्र थमाते हुए बेटे ने कहा-
अध्यापक ने यह पत्र आपको देने के लिए कहा है, उसकी मां ने जैसे ही वह पत्र पढ़ा वह मन ही मन मुस्कुराने लगी। मां को मुस्कुराता देख बेटे ने कारण पूछा, जिस पर मां ने बड़े प्यार से बेटे के सिर पर अपनी ममता का हाथ फेरते हुए कहा, बेटा इसमें लिखा है कि आपका बेटा कक्षा में सबसे होशियार है। हमारे पास ऐसे अध्यापक नहीं हैं, जो आपके बच्चे को पढ़ा सकें। इसलिए आप इसका एडमिशन किसी ऐसे स्कूल में करवा दे जहा इसे पढ़ाने के लायकअच्छे शिक्षक हो| यह सुनकर बहुत खुश हो गया और मन लगाकर पढ़ने लगा।
मां ने बेटे को घर पर ही पढ़ना शुरू कर दिया और उनकी रुचि मशीनो और प्रयोग में देख उन्होन उसे वैज्ञानिक वाली किताब लाकर दी ,खूब मन लगाकर पढ़ाई की और आगे चलकर अपनी मेहनत के दम पर महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन बने।
और कुछ समय बाद जब मां की मौत हो गई और वही पत्र जो उनकी टीचर ने दीया था आइंस्टीन को मिला और जब उन्होने वो पत्र पढ़ा तो वह रोने लगे क्योंकि उसमे लिखा था की ऐसे बुद्धि हीन और पागल बच्चे को हम अपने स्कूल में नहीं पढ़ा सकते आप इसे यह से ले जाइए|
“ कहते हैं आप दुनिया के लिए जैसे भी हो लेकिन अपनी मां के लिए आप पूरी दुनिया हो ! ”
जो लोग किसी कारण से परिवार के साथ नहीं है वो पूरे दिन में एक बार समय निकल कर अपनी मां से फोन पर बात जरूर करे|
अपनी भागदौड़ भरी जिंदगी में अपनों की अहमियत को न भूलें आप अपने बिजी शेडूल में से थोड़ा वक्त अपनों के लिए भी निकालें |